फणीश्वर नाथ रेणु के माता का नाम धनमती देवी था। वे हिंदी साहित्य के महान लेखकों में से एक थे, जिनका योगदान भारतीय साहित्य में अमूल्य है। फणीश्वर नाथ रेणु का जन्म 4 मार्च 1921 को बिहार राज्य के अररिया जिले के एक छोटे से गाँव, एतरौलिया में हुआ था। उनकी माँ, धनमती देवी, का जीवन और उनकी शिक्षाएँ रेणु के लेखन और विचारधारा पर गहरा प्रभाव डालने वाली थीं।
फणीश्वर नाथ रेणु का जीवन परिचय
फणीश्वर नाथ रेणु को आमतौर पर भारतीय ग्रामीण जीवन के सचित्र चित्रकार के रूप में जाना जाता है। उनके लेखन में बिहार और भारतीय गाँवों की प्रकृति, वहां के लोग, उनके संघर्ष और जीवन की सच्चाई को जीवंत रूप से प्रस्तुत किया गया है। उनकी प्रसिद्ध काव्यकृति “मैला आंचल” को हिंदी साहित्य में एक मील का पत्थर माना जाता है। इस उपन्यास में उन्होंने ग्रामीण जीवन की जो तस्वीर पेश की, वह आज भी पाठकों के दिलों में ताजगी बनाए रखती है।
रेणु का लेखन समाज के निम्न और मध्यवर्गीय जीवन को सजीव करता था। उनकी कहानियाँ और उपन्यास न केवल भारत के गांवों की, बल्कि भारतीय समाज के छोटे-छोटे संघर्षों और संघर्षों की गहरी समझ दिखाती हैं। रेणु की लेखनी में एक प्रकार का ठेठ देहाती जीवन था, जो उनके गाँव और परिवार से प्रभावित था।
धनमती देवी का योगदान
फणीश्वर नाथ रेणु की माँ, धनमती देवी, का प्रभाव उनके जीवन में गहरे रूप से समाहित था। माँ का आदर्श, शिक्षा और संस्कारों का महत्व, फणीश्वर नाथ रेणु के जीवन में हमेशा बना रहा। उनके लेखन में यह प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। धनमती देवी एक साधारण महिला थीं, जिन्होंने अपने बच्चों को सच्चाई, मेहनत और ईमानदारी का पाठ पढ़ाया। रेणु का अपनी माँ के साथ गहरा संबंध था और वे हमेशा उनके आशीर्वाद और शिक्षाओं को अपने जीवन का आधार मानते थे।
धनमती देवी ने अपने बच्चों को भारतीय संस्कृति, नैतिकता, और परिवार के महत्वपूर्ण मूल्यों से अवगत कराया। इन संस्कारों ने रेणु को न केवल एक बेहतरीन लेखक बनाया, बल्कि एक संवेदनशील व्यक्ति भी। जब रेणु ने अपने लेखन की शुरुआत की, तो उन्होंने उन सब संस्कारों और अनुभवों को अपनी कृतियों में जिवंत किया।
रेणु के साहित्य में मातृत्व का प्रभाव
फणीश्वर नाथ रेणु के साहित्य में मातृत्व का विशेष प्रभाव दिखाई देता है। उनकी रचनाओं में माँ की भूमिका, परिवार की स्थिति और ग्रामीण जीवन का चित्रण किया गया है। “मैला आंचल” में भी माँ की छवि और उसके संघर्षों का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है। रेणु के पात्र आमतौर पर उन सामान्य महिलाओं के संघर्षों को प्रदर्शित करते हैं जो भारतीय गाँवों में जीवन यापन करती हैं। रेणु की माँ, धनमती देवी, की तरह उनके लेखों में भी माँ का आदर्श एक मजबूत और प्रेरणादायक तत्व है।
निष्कर्ष
फणीश्वर नाथ रेणु का लेखन आज भी भारतीय साहित्य में अपनी एक विशेष पहचान रखता है। उनके साहित्य का उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि सामाजिक मुद्दों पर विचार करने का था। उनकी माँ, धनमती देवी, का जीवन और उनके द्वारा दिए गए संस्कारों का सीधा प्रभाव उनकी रचनाओं पर पड़ा। फणीश्वर नाथ रेणु की कृतियाँ आज भी पाठकों को भारतीय समाज और ग्रामीण जीवन की सच्चाई से रूबरू कराती हैं। उनकी माँ के आदर्शों और शिक्षा ने ही उन्हें वह दृष्टि और संवेदनशीलता दी, जो उनके साहित्य में दिखाई देती है।
FAQ’s
प्रश्न: – फणीश्वर नाथ रेणु के माता का नाम क्या था?
उत्तर: – फणीश्वर नाथ रेणु के माता का नाम धनमती देवी था।
प्रश्न: – फणीश्वर नाथ रेणु का प्रसिद्ध उपन्यास कौन सा है?
उत्तर: – फणीश्वर नाथ रेणु का प्रसिद्ध उपन्यास “मैला आंचल” है।
प्रश्न: – फणीश्वर नाथ रेणु ने किस विषय पर अपनी रचनाएँ लिखीं?
उत्तर: – फणीश्वर नाथ रेणु ने मुख्य रूप से ग्रामीण जीवन, समाज के संघर्षों और भारतीय गाँवों की सच्चाइयों पर अपनी रचनाएँ लिखी।