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कार्तिकेय की पूजा क्यों नहीं होती

हमारे हिन्दू धर्म में अनेक देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कार्तिकेय की पूजा क्यों नहीं होती? यह सवाल बहुत से लोगों के मन में उठता है। कार्तिकेय, जो भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र हैं, को युद्ध, विजय और वीरता का प्रतीक माना जाता है। बावजूद इसके, उनकी पूजा अन्य देवताओं की तरह व्यापक रूप से नहीं होती। इस लेख में हम जानेंगे कि ऐसा क्यों है और कार्तिकेय की पूजा से जुड़ी कुछ खास बातें।

कार्तिकेय का महत्व

कार्तिकेय को मुरुगन, स्कंद, कुमारस्वामी और सुब्रमण्यम के नाम से भी जाना जाता है। वह विशेष रूप से दक्षिण भारत में पूजे जाते हैं और उनके साथ जुड़े अनेक किवदंतियाँ और लोक कथाएँ हैं। वह देवताओं के सेनापति माने जाते हैं और उनके हाथ में एक शक्तिशाली धनुष-बाण होता है, जो उन्हें विशेष रूप से वीरता और युद्ध में सिद्धि प्रदान करता है।

कार्तिकेय की पूजा का महत्व

कार्तिकेय की पूजा मुख्यतः दक्षिण भारत में अधिक होती है, जबकि अन्य क्षेत्रों में उनकी पूजा कम देखने को मिलती है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें धार्मिक मान्यताएँ, समाजिक संरचनाएँ और क्षेत्रीय प्रभाव शामिल हैं। कुछ धर्मग्रंथों में यह भी उल्लेख है कि भगवान कार्तिकेय की पूजा उनकी युद्धकला के कारण विशेष रूप से दक्षिणी हिस्सों में होती है।

कार्तिकेय की पूजा क्यों नहीं होती?

अब सवाल यह उठता है कि कार्तिकेय की पूजा क्यों नहीं होती। इसका मुख्य कारण यह हो सकता है कि हिन्दू धर्म में उनके स्थान को लेकर भ्रम और भिन्नताएँ हैं। दक्षिण भारत में उनकी पूजा बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है, लेकिन उत्तर भारत और अन्य क्षेत्रों में उनकी पूजा उतनी प्रमुखता से नहीं होती। इसके अलावा, हिन्दू धर्म में भगवान शिव और विष्णु की पूजा मुख्य रूप से की जाती है, और इन देवताओं की पूजा में कोई विशेष छाया या स्थान कार्तिकेय को नहीं दिया गया है।

यह भी कहा जाता है कि जब भगवान शिव और पार्वती के घर कार्तिकेय का जन्म हुआ, तब उनका उद्देश्य था देवताओं की रक्षा करना और असुरों से लड़ना। इस कारण उनकी पूजा का स्वरूप मुख्य रूप से युद्ध और विजय से जुड़ा हुआ था, जिससे अन्य पूजा की परंपराएँ उनके साथ जुड़ी नहीं। कुछ धार्मिक मान्यताएँ यह भी कहती हैं कि कार्तिकेय के व्यक्तित्व में जो वीरता और आक्रामकता है, वह अन्य देवताओं की शांति और भक्ति की पूजा से मेल नहीं खाता।

कार्तिकेय की पूजा के लाभ

हालाँकि कार्तिकेय की पूजा व्यापक रूप से नहीं होती, फिर भी उनके पूजन के कुछ लाभ जरूर हैं। जो लोग कार्तिकेय की पूजा करते हैं, उन्हें मानसिक शांति, युद्धों में विजय और जीवन में सफलता प्राप्त होती है। वह विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए उपयुक्त माने जाते हैं जो कठिन परिस्थितियों में संघर्ष कर रहे होते हैं और जिनके जीवन में निर्णय लेने की चुनौती होती है।

निष्कर्ष

कार्तिकेय की पूजा न होने के पीछे का कारण मुख्य रूप से धार्मिक दृष्टिकोण और क्षेत्रीय परंपराओं पर निर्भर करता है। दक्षिण भारत में उनकी पूजा का महत्व अधिक है, जबकि अन्य हिस्सों में उनकी पूजा का महत्व कम है। फिर भी यह जरूरी नहीं है कि किसी देवता की पूजा न होने के कारण उनका महत्व कम हो। हर देवता का एक विशेष उद्देश्य और कार्य होता है, और कार्तिकेय का उद्देश्य वीरता, युद्ध और विजय का प्रतीक होना है

FAQ’s

प्रश्न: – क्या कार्तिकेय की पूजा पूरे भारत में होती है?

उत्तर: – नहीं, कार्तिकेय की पूजा मुख्य रूप से दक्षिण भारत में होती है, जबकि अन्य हिस्सों में कम होती है।

प्रश्न: – कार्तिकेय को किस नाम से जाना जाता है?

उत्तर: – कार्तिकेय को मुरुगन, स्कंद, कुमारस्वामी और सुब्रमण्यम के नाम से भी जाना जाता है।

प्रश्न: – कार्तिकेय की पूजा के क्या लाभ हैं?

उत्तर: – कार्तिकेय की पूजा से मानसिक शांति, युद्ध में विजय और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।



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